हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , 9 अप्रैल को आयतुल्लाह सैय्यद मुहम्मद बाक़िर अलसदर और उनकी शहीदा बहन मोहतरमा सैय्यदा आमीना बिन्तुल हुदा कि बरसी हैं। हुर्रियत और मुमताज़ माहिर अलिमेदीन आयतुल्लाह सैय्यद मुहम्मद बाक़िर अलसदर और उनकी बहन मोहतरामा सैय्यदा आमीना बिन्तुल हुदा कि 41 वी बरसी मनाई जा रही है, जिनकी इलमी खिदमत की बदौलत इस्लामी दुनिया की मुमताज़, और अपने उलूम और फोनून की माहिर शख्सियत आज भी ना सिर्फ इस्लामी जगत बल्कि दुनियाए आलम इनके नज़रियात से भरपूर उनके विचारों और अवधारणाओं का पूरा उपयोग करके प्रगति और समृद्धि की यात्रा कर रही है।
आयतुल्लाह सैय्यद मुहम्मद बाक़िर अलसदर,कि अर्थशास्त्र और कलमकारी की विरासत के क्षेत्र में प्रदान की गई मूल्यवान सेवाएं आज भी हमारे लिए एक मशअले राह हैं।ता हम आलमे इस्लाम की ऐसी बेमिसाल शख्सियत हमेशा साम्राज्य ताकतों की आंख का कांटा रही,इसके लिए, औपनिवेशिक साजिशों के परिणाम स्वरूप बाकिर अलसदर शहीद हो गए और दुनिया ने ऐसे व्यक्ति को हमेशा के लिए खो दिया।
हम शहीद की सेवाओं के लिए श्रद्धांजलि देते हैं और वर्तमान स्थिति मे इसकी मांग करते है कि उनके विद्वानों और साहित्यिक कार्यों का उपयोग करके अन्य क्षेत्रों के साथ वैज्ञानिक और आर्थिक क्षेत्रों में मार्गदर्शन मांगा जाना चाहिए।
शहीद की अज़ीम शहीदा बहन मोहतरमा सैय्यदा आमीना बिन्तुल अलहोदा वह खातून है इनकी शहादत पर जल्लाद हाकिम सद्दाम ने कहा था कि मैंने यज़ीद की तरह गलती नहीं की किसने हुसैन को शहीद करके इनकी बहन ज़ैनब को जिंदा रहने दिया था, जिन ज़ैनब की बदौलत इस्लाम और हुसैनीयात जिंदा है,
इसीलिए मैंने बकीर अलसदर और उसकी बहन को मार डाला ताकि मैं इस औरत से हार न जाऊं।
शहीद बाक़िर अलसदर और उनकी शहीदा बहन मोहतरमा सैय्यदा आमीना बिन्तुल अलहोदा के लिए एक सूरह फातिहा.